Thursday, 12 December 2013

राज इलाहाबादी (1)

1.
लज़्ज़त-ए-ग़म बढ़ा दीजिये,
आप यूँ मुस्कुरा दीजिये

कीमत-ए-दिल बता दीजिये, 
ख़ाक़ ले कर उड़ा दीजिये

आप अंधेरे में कब तक रहें, 
फिर कोई घर जला दीजिये

चाँद कब तक गहन में रहे, 
आप ज़ुल्फ़ें हटा दीजिये

मेरा दामन बहुत साफ़ है, 
कोई तोहमत लगा दीजिये

एक समन्दर ने आवाज़ दी, 
मुझको पानी पिला दीजिये

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