1.
सर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जाएगा ।
इतना मत चाहो उसे, वो बेवफ़ा हो जाएगा ।
हम भी दरिया हैं, हमें अपना हुनर मालूम है,
जिस तरफ़ भी चल पड़ेंगे, रास्ता हो जाएगा ।
कितना सच्चाई से, मुझसे ज़िंदगी ने कह दिया,
तू नहीं मेरा तो कोई, दूसरा हो जाएगा ।
मैं ख़ुदा का नाम लेकर, पी रहा हूँ दोस्तो,
ज़हर भी इसमें अगर होगा, दवा हो जाएगा ।
सब उसी के हैं, हवा, ख़ुश्बू, ज़मीनो-आस्माँ,
मैं जहाँ भी जाऊँगा, उसको पता हो जाएगा ।
2 .
सौ ख़ुलूस बातों में सब करम ख़यालों में
बस ज़रा वफ़ा कम है तेरे शहर वालों में
पहली बार नज़रों ने चाँद बोलते देखा
हम जवाब क्या देते खो गये सवालों में
रात तेरी यादों ने दिल को इस तरह छेड़ा
जैसे कोई चुटकी ले नर्म नर्म गालों में
मेरी आँख के तारे अब न देख पाओगे
रात के मुसाफ़िर थे खो गये उजालों में
3.
वही ताज है वही तख़्त है वही ज़हर है वही जाम है
ये वही ख़ुदा की ज़मीन है ये वही बुतों का निज़ाम है
बड़े शौक़ से मेरा घर जला कोई आँच न तुझपे आयेगी
ये ज़ुबाँ किसी ने ख़रीद ली ये क़लम किसी का ग़ुलाम है
मैं ये मानता हूँ मेरे दिये तेरी आँधियोँ ने बुझा दिये
मगर इक जुगनू हवाओं में अभी रौशनी का इमाम है
4.
भीगी हुई आँखों का ये मंज़र न मिलेगा
घर छोड़ के मत जाओ कहीं घर न मिलेगा
फिर याद बहुत आयेगी ज़ुल्फ़ों की घनी शाम
जब धूप में साया कोई सर पर न मिलेगा
आँसू को कभी ओस का क़तरा न समझना
ऐसा तुम्हें चाहत का समुंदर न मिलेगा
इस ख़्वाब के माहौल में बे-ख़्वाब हैं आँखें
बाज़ार में ऐसा कोई ज़ेवर न मिलेगा
ये सोच लो अब आख़िरी साया है मुहब्बत
इस दर से उठोगे तो कोई दर न मिलेगा
5.
आ चाँदनी भी मेरी तरह जाग रही है
पलकों पे सितारों को लिये रात खड़ी है
ये बात कि सूरत के भले दिल के बुरे हों
अल्लाह करे झूठ हो बहुतों से सुनी है
वो माथे का मतला हो कि होंठों के दो मिसरे
बचपन की ग़ज़ल ही मेरी महबूब रही है
ग़ज़लों ने वहीं ज़ुल्फ़ों के फैला दिये साये
जिन राहों पे देखा है बहुत धूप कड़ी है
हम दिल्ली भी हो आये हैं लाहौर भी घूमे
ऐ यार मगर तेरी गली तेरी गली है
सर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जाएगा ।
इतना मत चाहो उसे, वो बेवफ़ा हो जाएगा ।
हम भी दरिया हैं, हमें अपना हुनर मालूम है,
जिस तरफ़ भी चल पड़ेंगे, रास्ता हो जाएगा ।
कितना सच्चाई से, मुझसे ज़िंदगी ने कह दिया,
तू नहीं मेरा तो कोई, दूसरा हो जाएगा ।
मैं ख़ुदा का नाम लेकर, पी रहा हूँ दोस्तो,
ज़हर भी इसमें अगर होगा, दवा हो जाएगा ।
सब उसी के हैं, हवा, ख़ुश्बू, ज़मीनो-आस्माँ,
मैं जहाँ भी जाऊँगा, उसको पता हो जाएगा ।
2 .
सौ ख़ुलूस बातों में सब करम ख़यालों में
बस ज़रा वफ़ा कम है तेरे शहर वालों में
पहली बार नज़रों ने चाँद बोलते देखा
हम जवाब क्या देते खो गये सवालों में
रात तेरी यादों ने दिल को इस तरह छेड़ा
जैसे कोई चुटकी ले नर्म नर्म गालों में
मेरी आँख के तारे अब न देख पाओगे
रात के मुसाफ़िर थे खो गये उजालों में
3.
वही ताज है वही तख़्त है वही ज़हर है वही जाम है
ये वही ख़ुदा की ज़मीन है ये वही बुतों का निज़ाम है
बड़े शौक़ से मेरा घर जला कोई आँच न तुझपे आयेगी
ये ज़ुबाँ किसी ने ख़रीद ली ये क़लम किसी का ग़ुलाम है
मैं ये मानता हूँ मेरे दिये तेरी आँधियोँ ने बुझा दिये
मगर इक जुगनू हवाओं में अभी रौशनी का इमाम है
4.
भीगी हुई आँखों का ये मंज़र न मिलेगा
घर छोड़ के मत जाओ कहीं घर न मिलेगा
फिर याद बहुत आयेगी ज़ुल्फ़ों की घनी शाम
जब धूप में साया कोई सर पर न मिलेगा
आँसू को कभी ओस का क़तरा न समझना
ऐसा तुम्हें चाहत का समुंदर न मिलेगा
इस ख़्वाब के माहौल में बे-ख़्वाब हैं आँखें
बाज़ार में ऐसा कोई ज़ेवर न मिलेगा
ये सोच लो अब आख़िरी साया है मुहब्बत
इस दर से उठोगे तो कोई दर न मिलेगा
5.
आ चाँदनी भी मेरी तरह जाग रही है
पलकों पे सितारों को लिये रात खड़ी है
ये बात कि सूरत के भले दिल के बुरे हों
अल्लाह करे झूठ हो बहुतों से सुनी है
वो माथे का मतला हो कि होंठों के दो मिसरे
बचपन की ग़ज़ल ही मेरी महबूब रही है
ग़ज़लों ने वहीं ज़ुल्फ़ों के फैला दिये साये
जिन राहों पे देखा है बहुत धूप कड़ी है
हम दिल्ली भी हो आये हैं लाहौर भी घूमे
ऐ यार मगर तेरी गली तेरी गली है
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